Saturday, December 2, 2017

Zindagi mein chaltay chaltay tumsay samna ho kuch Yun ho gaya 
Chandh he mulakaton mein tumnay kaha ki Dil kho gaya
Zubaa bhi bezubaa ban ke reh gayi humari kuch iss tarah
Ki Keh bhi na sakay tumsay ki humara haal bhi wahi ho gaya 

Monday, July 27, 2009

गुफ्तगू की जो ख़ुद से इतने दिनों के बाद तो लगा की जिंदा हूँ ,
दिल मे धडकनों की हूई आवाज़ तो लगा की ज़िंदा हूं ,
स्पर्शों की पहचान को कुछ भूल गयी हूँ इतना ,
की तूने फिर रूह को छुआ तो लगा की ज़िंदा हूँ । ।
सुरमई रातों को जाग- जाग तुझे याद किया करते है,
मुहब्बत की हर बात पर तुझे याद किया करते है ,
एक तू ही है बेरहम जो दामन चुराये दूर बैठा है ,
हम तो आज भी हर साँस तेरे नाम की लिया करते है ।

Wednesday, March 26, 2008

ऐतबार

आब्रू थी उनके हाथों , की परदा रूबरू था
नजरे भी ना उठा के देखी उन्होने
की अपनी तेज़ चलती सासों से बे - परदा कर दीया


उनकी यह अदा कुछ इस कदर भा गई हमे
दीळ ने गुस्ताखी करने की हमे भी इजाज़त दे दी
की उँगलियाँ बढ़ा कर हमने भी उन्हे छू लीया


रेशम सी छुअन और हुस्न का जादू तो चलना ही था
उनकी नज़रे उठी और गीरी हमपर कुछ इस तरह
की खीच कर हमारी कलाई उन्होने अपना दामन भर लीया

Saturday, February 16, 2008

.....

उनकी नज़रों मे अपना अक्स कुछ इस तरह नज़र आने लगा

मेरे सीने से दिल बस निकल कर जाने लगा

उनकी बाहों मे जाकर हम टूट गए कुछ इस तरह

की मोहब्बत करने के दिल सौ बहाने बनाने लगा

Tuesday, January 15, 2008

......

उन्होने आज वो काम कर दिख लाया
जो इतने सालों तक हमसे ना हो पाया
कुछ कहना ना था उनका ज़रूरी
की उनकी एक नज़र से ही , वो मोती सीप से निकल आया

खारे पानी से पलखे भीगी बहुत दिनों बाद
अपने दर्दों का अहसास हुआ बहुत दिनों बाद
शर्म की मुस्कुराहत से होठं खिल उठे हमारे
की उनके एक स्पर्श से ही , आवाज़ मिली इस पुतले को बहुत दिनों बाद

प्यार से दामन यूं भर दिया है उन्होने मेरा
खुशियों का दिल मे हो गया है जैसे डेरा
अँधेरी सी ज़िंदगी मे गुलाबी रंग फिर खिल उठा
की मेरी रात को आज फिर मिल गया है सवेरा

Thursday, September 13, 2007

तुम्हारे लिए ..

दिल की घुटन मे बंद एक आवाज़ है मेरी
कोई सुन ले इसे तो मैं करार पाऊँ ................
इन बंद होंठों को जुबां अगर मिल जाये
तो मैं भी शब्दों की बाहार पाऊँ ..........
लोग कहते है मुझसे की आँखें ख़ूबसूरत है तुम्हारी
इन्हे अगर कोई पढ़ ले तो मैं भी सवर जाऊं ......................
बाहें फैलाये खडी हूँ मैं भी दर पर अपने
की उसकी बाँहों मे जा के मैं भी बिखर जाऊं ..........

कभी कहा नही

कभी कहा नही उनसे की मोहब्बत है
डरते थे की कही ना वो खफा हो जाये

इश्क़ को अपने हमने आँखों मे छुपा कर रखा
पलकों की चादर से हमेशा उसे बचा कर रखा
निगाहों को भी ना उनसे गुफ्तगू करने दी
की हमने ........
कभी कहा नही उनसे की मोहब्बत है
डरते थे की कही ना वो खफा हो जाये

वो हमे अपना जिगरी दोस्त कहते थे हमेशा
अपनी हर बात वोह हमसे कहते थे हमेशा
पर अपनी ज़ुबां पर कभी आने ना दिया
की हमने ...............
कभी कहा नही उनसे की मोहब्बत है
डरते थे की कही ना वो खफा हो जाये

एक दिन ऐसा आया जब उनकी डोली को हमने विदा किया
करते और क्या भला हमने "जिगरी दोस्त" का फ़र्ज़ अदा किया
जिगर मे दर्द की एक हूक उठी थी हमारे
की तब भी हमने .............
कभी कहा नही उनसे की मोहब्बत है
डरते थे की कही ना वो खफा हो जाये

आज एक और ऐसा दिन जिन्दगी मे फिर आया है
कंधे पर उनका ही जनाज़ा हमने उठाया है
उनके आखरी ख़त को पढ़ कर अब जीं ना पिएंगे हम
की उन्होने भी लिखा था ...........
कभी कहा नही उनसे की मोहब्बत है
डरते थे की कही ना वो खफा हो जाये

ज़ख्म

दिल की हालत है क्या यह किन लफ़्ज़ों मे करें हम बयां
की अरमानों की अर्थी उठी है आज किसी सजी डोली की तरह ..........................

सजाया तो गया है इसको भी फूलों से ही
क्यों लग रही है इनकी चुवन हमे काटों की तरह ..............

संभलना ऐ दुनिया वालो की जाते - जाते भी ना हम कहीँ ज़ख़्मी हो जाएँ
की और भी ज़ख्म अपने कंधे पे लिए जा रहें है हम किसी इलज़ाम की तरह ...................

अब एक और दाग ना सह सकेंगे हम अपने दमन मे
की जीं ना सके इस दुनिया मे हम बनके आम इंसानों की तरह ...............

वोह रात

वोह कुछ ऐसी पहली मुलाक़ात थी
एक बड़ी ही हसीन रात थी ..........

नज़रों से लिखी थी एक कहानी
आसूं बहे थे बनकर जब पानी
हूठों से छुआ था उनके हूठों ने
महक उठी थी मैं बनकर रात की रानी

वोह कुछ ऐसी पहली मुलाक़ात थी
एक बड़ी हसीन रात थी ...........

उस रात के आँचल में
हम समां गए
वो अपनी बाँहों की चादर उडा गए
आज होटों पर दिल की हर बात थी

वो कुछ ऐसी पहली मुलाक़ात थी
एक बड़ी ही हसीन रात थी .............

वोह दुल्हन बनी .....

होश थिकनाये नही रह गए है जब से
गुजरे कल मे हमने उसे दुल्हन बना देखा ....
क्या किस्मत पाई है यारो आपना दिल देके भी
नही है मेरे हाथों मे उसके दिल की रेखा ......

टूट कर चक्ना चूर हूए है मेरे सपने
रो पडे है आज मेरे साथ यह मेघा .........
जाते हूए देख रहा हूँ घर की छत से
तस्सली मिली जब सनम ने भी बस एक बार ...........आखरी बार ....मुझे पलट के देखा

जिन्दगी की जिन्दगी

पेडों की छाओं सी जब दिखती है जिन्दगी
फिर सूरज की धूप सी क्यों जलती है जिन्दगी .....
जब थमते हुये कदम सी लगती है जिन्दगी
फिर रूक कर क्यों चलने लगती है जिन्दगी ......
यूं तो फूलों के रंग से भरी होती है जिन्दगी
फिर यह क्यों काँटों सी लगने लगती है जिन्दगी .....
थक कर जब उस से पूछा की जवाब इसका दे ए जिन्दगी
तो वोह मुस्कुरा कर बोली यही जानने के लिए ही .............
आज तक जीं रही है यह जिन्दगी ............