उन्होने आज वो काम कर दिख लाया
जो इतने सालों तक हमसे ना हो पाया
कुछ कहना ना था उनका ज़रूरी
की उनकी एक नज़र से ही , वो मोती सीप से निकल आया
खारे पानी से पलखे भीगी बहुत दिनों बाद
अपने दर्दों का अहसास हुआ बहुत दिनों बाद
शर्म की मुस्कुराहत से होठं खिल उठे हमारे
की उनके एक स्पर्श से ही , आवाज़ मिली इस पुतले को बहुत दिनों बाद
प्यार से दामन यूं भर दिया है उन्होने मेरा
खुशियों का दिल मे हो गया है जैसे डेरा
अँधेरी सी ज़िंदगी मे गुलाबी रंग फिर खिल उठा
की मेरी रात को आज फिर मिल गया है सवेरा
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2 comments:
Dil ki lagi har kisi ki jaban tak aati nahi
jo aapke labo pe aayi hai, Dil ki lagi hai Dillagi nahi :-0)
I read almost all ur poems in a while and I am impressed, awsome .. u rock..
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