गुफ्तगू की जो ख़ुद से इतने दिनों के बाद तो लगा की जिंदा हूँ ,
दिल मे धडकनों की हूई आवाज़ तो लगा की ज़िंदा हूं ,
स्पर्शों की पहचान को कुछ भूल गयी हूँ इतना ,
की तूने फिर रूह को छुआ तो लगा की ज़िंदा हूँ । ।
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