दिल की हालत है क्या यह किन लफ़्ज़ों मे करें हम बयां
की अरमानों की अर्थी उठी है आज किसी सजी डोली की तरह ..........................
सजाया तो गया है इसको भी फूलों से ही
क्यों लग रही है इनकी चुवन हमे काटों की तरह ..............
संभलना ऐ दुनिया वालो की जाते - जाते भी ना हम कहीँ ज़ख़्मी हो जाएँ
की और भी ज़ख्म अपने कंधे पे लिए जा रहें है हम किसी इलज़ाम की तरह ...................
अब एक और दाग ना सह सकेंगे हम अपने दमन मे
की जीं ना सके इस दुनिया मे हम बनके आम इंसानों की तरह ...............
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