चांदनी रात मे जब तारे चमकने लगे
हम फिर से वो कविता लिखने लगे
जिसमे तुम्हारा ज़िक्र बार बार आया करता है
क्या करें की यह दिल अब भी तुम्ही पर मरता है
एक बार बस उस चिलमन से झाक कर देख लो मुझे
की जीं भर कर देखना चाहता हूँ आज मैं तुझे
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