Tuesday, September 11, 2007

तलाश

ना रोशिनी है , ना सवेरा है
चारों तरफ बस अँधेरा है
तलाश भी करें तो किधर करें
जिन्दगी ने तोड़ कर यूं बेखेरा है.................

उम्मीद उठती है , फिर टूट जाती है
राहें ना कही मंज़िल पाती है
बयां करें तो कैसे करें
दिल मे सिर्फ दर्द का डेरा है ...................

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